- इसके बाद 1997 से इन्होंने सैलरी लेना बंद कर दिया और अपनी सैलरी को जरूरतमंद मरीजों को डोनेट कर दिया। 1997 में उनकी सैलरी 84,000 थी। अन्य भत्तों को मिलाकर ये एक लाख के ऊपर थी।
- 2003 में रिटायरमेंट के बाद इन्हें जो पेंशन और पीएफ मिला वो भी इन्होंने बीएचयू को मरीजों की सेवा के लिए डोनेट कर दिया। ये केवल खाने के खर्च के लिए पेंशन से रुपए लेते हैं। रिटायरमेंट के बाद भी करते हैं ड्यूटी
डॉ. लहरी ने बताया, रिटायरमेंट के बाद उन्हें अमेरिका के कई बड़े हॉस्पिटल से ऑफर था, लेकिन उनका मन यहीं लग गया था।
- रिटायरमेंट के बाद भी रेग्युलर सुबह 6 बजे वे बीएचयू जाते हैं और 3 घंटे ड्यूटी करने के बाद वापस आते हैं। शाम को भी इसी तरह ड्यूटी करते हैं। इसके बदले बीएचयू से केवल आवास के आलावा कोई सुविधा नहीं ली।
- इनके इसी सेवा भाव को देखते हुए 2016 में इनको पदमश्री से नवाजा गया।
- बीएचयू के डॉ. लखोटिया ने बताया, ऐसी शख्सियत हमेशा हम सब के लिए आइडियल है। उनके जैसा एक्सपीरियंस सभी के काम में आता है। मरीजों के लिए वो लाइफ का एक-एक पल डोनेट करते हैं। वो मानते हैं कि कर्म ने उनको डॉक्टर इसीलिए बनाया कि हर जरूरतमंद मरीज की वो मदद कर पाएं।
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