सीतामढ़ी की निर्मला ने पति की चिता अपने हाथों सजाई और श्मशान घाट ले जाकर दी मुखाग्नि

सीतामढ़ी, सोनबरसा। कन्हौली थाना क्षेत्र अंतर्गत भारसर वार्ड संख्या-सात । यूपी के बाराबंकी हादसे में गगनदेव राय (35) भी काल कलवित हो गए । लाचार-बेबस निर्मला देवी ने पति की चिता अपने हाथों सजाई और श्मशान घाट ले जाकर मुखाग्नि दी। गुरुवार को लखनदेई नदी के किनारे घाट पर यह नजारा देख लोगों की आंंखें भर आईंं । पति के कंधे पर अंतिम विदाई की हसरत हर भारतीय नारी की की होती है । मगर, निर्मला की नियति को शाायद यहीं मंजूर था । निर्मला के घर में पति को मुखाग्नि देने वाला कोई नहीं था ।

शादी के सोलह साल के इंतजार के बाद भी निर्मला की कोख सूनी रह गई । ससुर झगरू राय व सास की मृत्यु शादी के पहले ही हो चुकी थी ।

बस इस परिवार में पति-पत्नी ही शेष रह गए ।हिन्दू धर्म के अनुसार, अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की गई । इस बीच नम आंखों से पत्नी ने जैसे ही पति की चिता को मुखाग्नि दी यह मंजर देख लोगों की आंखें भर आईं। हिंदू धर्म के अनुसार , पिता की मौत पर बड़े बेटे को मुखाग्नि देने का अधिकार होता है । लेकिन, निर्मला नि:संतान थी और घर में दूसरा कोई सदस्य भी नहीं है ।

विपरीत परिस्थिति में निर्मला ने समाज की पुरानी रुढ़ियों को तोड़ते हुए अंतिम संस्कार की रस्म पूरी करने का हौसला जुटाया । आस-पड़ोस के लोगों के साथ पति की अर्थी के साथ श्मशान घाट पहुंची । गगनदेव राय की शादी 16 वर्ष पूर्व नेपाल के सर्लाही जिला के गनेशिया गांव में हुई । उन्हें कोई संतान नहीं हुई ।

लोगों के कहने के बावजूद दूसरी शादी नहीं की । अपनी पत्नी के सहारे ही जिंदगी गुजारने का फैसला लिया । ताउम्र जीवन में कोई दूसरी महिला नहीं आएगी यही बात गगनदेव लोगों को बताते । इस हादसे के बाद घर में मातम का माहौल है।

Credit, jagran.com

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