16 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में आने वाला उज्जैन का गैंगेस्टर दुर्लभ कश्यप भले ही 20 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह चुका हो, लेकिन उसके नाम पर आज भी गैंग चल रहे हैं।
दुर्लभ कश्यप, जस नाम तस गुण… मतलब नाम दुर्लभ तो काम भी और वारदात भी। एक खास ड्रेस कोड, सोशल मीडिया के जरिए धमकी और गैंग का प्रचार। यही काम करने का तरीका था उस 20 साल के लड़के का, जिसे उज्जैन का सबसे बड़ा डॉन बनना था।
15-16 साल की उम्र में जब लड़के अपनी पढ़ाई और भविष्य के बारे में सोचने लगते हैं, तब दुर्लभ कश्यप अपराध की दुनिया में जाने की तैयारी कर रहा होता है। दुर्लभ की मां एक शिक्षिका तो पिता व्यापारी थे। बाहर से अपराध की दुनिया जितनी आकर्षक लगती है वास्तविक में होती नहीं है, लेकिन उस 16 साल के लड़के को तो इस काम से नाम और प्रसिद्धि चाहिए थी, जिसका अंजाम सिर्फ और सिर्फ मौत ही होता है। 16 साल की उम्र में कश्यप अपराध की दुनिया में उतरा और 2 साल होते-होते उज्जैन में इसके नाम का सिक्का चलने लगा।
माथे पर लाल टीका, आंखों में सुरमा और कंधे पर गमछा, यही पहचान थी दुर्लभ कश्यप और उसके गैंग की। दुर्लभ कश्यप अक्सर हथियारों के साथ अपना फोटो सोशल मीडिया पर डालता था, युवा जल्द ही उसके स्टाइल से प्रभावित होने लगे और दुर्लभ की गैंग में लड़कों की भर्ती होने लगी। दुर्लभ की गैंग में ज्यादातर बदमाश नाबालिग ही थे। अपने फेसबुक पर दुर्लभ ने लिख रखा था- “कुख्यात बदमाश, हत्यारा, पेशेवर अपराधी, किसी भी विवाद के लिए संपर्क करें।”
दुर्लभ इसी तरह के पोस्ट डालता, जो युवाओं को आकर्षित करता। फिर ये बदमाश हर तरह के क्राइम को अंजाम देते थे। 18 साल की उम्र तक दुर्लभ पर 9 मामले दर्ज हो चुके थे। पुलिस के लिए दुर्लभ सिरदर्द बन चुका था। अक्टूबर 2018 को दुर्लभ आखिरकार अपने 23 साथियों के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया। तब एक पुलिस अधिकारी ने दुर्लभ से कहा था,- “तुमने बहुत ही कम उम्र में बहुतों से दुश्मनी मोल ले ली है, जेल में रहेगा तभी सुरक्षित रहेगा”।
दुर्लभ जेल तो गया लेकिन गैंग चलता ही रहा। कोरोना के दौर में जब जेल से बदमाशों को जमानत पर रिहा किया जाने लगा तो दुर्लभ भी जेल से बाहर आ गया। पुलिस अधिकारी की चेतावनी दुर्लभ भूल चुका था, लेकिन अपराध की दुनिया कभी भी अपने दुश्मन को नहीं भूलती है। 6 सितम्बर 2020 को दुर्लभ रात में घर में खाना खाया और अपने साथियों के साथ सिगरेट पीने एक दुकान पर पहुंचा। यहां पर एक और गैंग, शाहनवाज भी अपने साथियों के साथ मौजूद था।
दोनों गैंगों में पहले से ही दुश्मनी थी, सिगरेट की दुकान पर बात बढ़ी और दोनों गैंग भिड़ गए। शाहनवाज और उसकी गैंग ने जहां चाकू से वार किया, वहीं दुर्लभ ने शाहनवाज पर गोली चला दी जो उसके कंधे पर जा लगी। शाहनवाज गैंग संख्या में ज्यादा था और वो लगातार चाकुओं से वार कर रहा था। इस घटना में दुर्लभ कश्यप की मौत हो गई। दुर्लभ को 34 बार चाकुओं से गोदा गया था।
दुर्लभ 16 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखा और 20 साल की उम्र में अपराध की दुनिया का पोस्टर बॉय बन कर मारा गया। दुर्लभ इस दुनिया से जा चुका है लेकिन इसके नाम पर उज्जैन में आज भी गैंग चल रहे हैं।
Source jansatta.com
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