अनेक बुखार जैसे डेंगू, स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया आदि से बचाव के साथ इनसे होने वाले साइड इफेक्ट से राहत दिलाने में गिलोय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सामान्य बुखार में 4-5 इंच गिलोय का टुकड़ा, 2-3 तुलसी के पत्ते व इतनी ही काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पीएं
डेंगू में गिलोय-
डेंगू में गिलोय-
डेंगू में प्लेटलेट्स कम होने पर एलोवेरा जूस, अनार का जूस और पपीते की पत्तियों का रस गिलोय के रस के साथ लेने से आराम मिलता है।
पीलिया में गिलोय-
गिलोय के चार-पांच पत्ते और पांच इंच लता लेकर इनका जूस एक दिन छोड़कर दस दिनों तक पीएं, चाहे तो इसमें मिश्री मिला लें। पीलिया ठीक होने के साथ ही आगे कभी दोबारा भी नहीं होगा।
डायबिटीज में गिलोय –
गिलोय डायबिटीज का भी अच्छा इलाज है। एक महीने तक गिलोय की लता के पांच-छह इंच टुकड़े को कूटकर छान लें और इसका सुबह-सुबह लें। एक महीने में ही टेस्ट करवाने पर फर्क पता चल जाएगा। टाइप टू की डायबिटीज में गिलोय बहुत असरदार है।
कैंसर में गिलोय-
गिलोय का प्रयोग कैंसर को रोकने के लिए किया जाता है। इससे बनी कुछ दवाइयां भी मार्केट में उपलब्ध हैं। कैंसर से बचाव के लिए इसका काढ़ा बनाकर पीएं। काढ़ा बनाने के लिए मुट्ठी भर गेहूं के दानों को अंकुरित कर पांच से सात दिनों तक पानी में डालकर सात से आठ इंच तक धन को बड़ा होने के बाद काटकर पीस लें। अब गिलोय के तने या लता का सात-आठ इंच टुकड़ा लेकर इसमें आठ-आठ तुलसी व नीम के पत्ते मिलाकर पीस लें। इन दोनों के मिक्सचर को मिलाकर सुबह के समय सप्ताह में तीन बार पीएं।
खून की कमी में गिलोय-
रोजाना सुबह-शाम गिलोय का रस घी या शहद के साथ लेने से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है क्योंकि गिलोय इम्युनिटी और डिजीज रजिस्टेंस पावर को बढ़ाता है जिससे हमारा बीमारियों से भी बचाव होता है।
दमा में गिलोय-
गिलोय का रस दमा के इलाज में बहुत फायदेमंद है। अस्थमा से होने वाली तकलीफों जैसे छाती में जकड़न, खांसी, सांस में घरघराहट आदि में गिलोय आराम देता है। नीम व आंवला के साथ इसके मिक्सचर को खाने से असर जल्दी होता है।गठिया में गिलोय-
गिलोय वातरोगी गठिया से राहत दिलाने का काम भी करता है। इसके लिए अरंडी के तेल के साथ गिलोय का प्रयोग करना चाहिए। घी के साथ भी इसको लिया जा सकता है। रुमेटी गठिया के लिए गिलोय का अदरक के साथ प्रयोग करें
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